Bushra Maryam

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बचपन के दिन

वो दिन भी क्या दिन थे

जब हम छोटे बच्चे थे

शरारत ऐसी ऐसी थी

बहुत खुशबाश होते थे ,

लेकिन अब कहा वो दिन, जब हम मासूम होते थे

 

चिड़िया जब घोंसलों से निकलती थी

उन्हें हम क़ैद करते थे

उन्हें झूला झुलाते थे

उन्हें दाना खिलते थे

लेकिन अब कहा वो दिन, जब हम मासूम होते थे

 

तितलियाँ जब भी आते थी पोधो पर

उनको पकड़ कर उड़ाया करते थे

कड़ी धुप में जब बाहर निकालते थे

सब डांट डपट कर रुकाया करते थे

लेकिन अब कहा वो दिन, जब हम मासूम होते थे

 

वो बारिश जब भी होती थी

उसमे कागज के नाव चलाया करते थे

फलो के पेड़ से हम

फल चुरा कर खाया करते थे 

लेकिन अब कहा वो दिन जब हम मासूम होते थे

 

अपना छोटा सा घर बना कर

उसमे गुड़िया बिठाया करते थे

नन्हे नन्हे हाथो से खाना बना कर

वो झूठा झूठा खाया करते थे

लेकिन अब कहा वो दिन जब हम मासूम होते थे

 

जब हम रेत में घर बनाते थे

लड़ते थे और मिटाते थे

लड़ते थे झगड़ते थे

एक दूसरे की शिकायत लगाते थे

लेकिन अब कहा वो दिन जब हम मासूम होते थे

बचपन के दिन

छुट्टियों में जब हम नानी की घर

जाया करते थे

पेड़ो पर चढ़ते , झूलते

और केरिया खाया करते थे

अँधेरी रात में जुगनू

पकड़ कर उड़ाया करते थे

लेकिन अब कहा वो दिन जब हम मासूम होते थे

 

मज़े की बात ये मरयम

जब हम छोटे छोटे थे

सब मिलकर साथ रहते थे

कभी रोना कभी हसना

मिलकर मस्ती करते थे

लेकिन अब कहा वो दिन जब हम मासूम होते थे

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7 Comments

Reena yadav

07-Apr-2024 11:28 PM

💟

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बहुत बहुत शानदार बचपन को बहुत ही सजीवता के साथ चित्रित किया है

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Abhinav ji

07-Jan-2022 08:34 AM

Nice

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